Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 209
________________ DeeeeeeeeeeeISISTERS पुण्यादथ चरित्र सान्वय भाषान्तर 208) 1208 अर्थ:-एचीरीते ते केशवराजानो धर्म संबंधी तुरत थयेली चमत्कार जोइने पृथ्वी एटले पृथ्वीपर वंसता लोको पोतानी मेळेज ररात्रिभोजनना त्यागमा तप्तर थया. // 502 // अथायं दिग्जयं कृत्वा स्थित्वा साकेतपत्तने / पात्वा चिरं धरामत्रामुत्राभूत्परमः सुखी // 503 // .. // इति रजनीभोजनत्यागे हंस केशवकथा // अन्वयः-अथ अयं दिग्जयं कृत्वा, साकेतपत्तने स्थित्वा, चिरं धरा पात्वा, अत्र अमुत्र परमः सुखी अभूतं. // 503 // अर्थ:-पछी ते केशवराजा दिग्विजय करीने, तथा सांकेतनगरमा रहीने, अने घणा काळमुधी पृथ्वीन रक्षण करीने आलोक अने परलोकमा अत्यंत सुखी थयो. // 503 // // इति रजनीभोजनत्यागे हंस केशवकथा. // .. इत्थं हंसस्य विपदं संपदं केशवस्य च / श्रुत्वा मुखाद् गुरोः स्वर्गिन्कथमद्मि फलं निशि // 504 // DetestSISTERIENCICIETEISerecte

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