Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ P000000000000000000 पुण्याढ्य * चरित्रं इ. 1201 सान्वय भाषान्तर -201 // अर्थः-ते रडापीटथी(त्यां)एकठा थयेला लोकोमा उभेला कोइ एक झेर संबंधी वैद्यविद्या जाणनारा उत्तम वैद्ये खरेखर मंत्रवादीओने बोलाववा माटे उद्यम करता एवा मने कg के, // 486 . न कार्यः क्लेशलेशोऽपि सर्पस्यास्य विषक्तमैः। सटटद्गलत्कायो मासमेवेष जीवति // 487 // अन्वय:-क्लेशलेशः अपि न कार्यः, अस्य सर्पस्य विपक्लमैः सटत् त्रुटत् गलत कायः एषः मासं एवं जीवति / / 487 // अर्थ:-(हवे तमो) नाहक जराए महेनत न करो? आ सपनुं झेर चडवाथी (आ हंसनु) शरीर सडवा, त्रुटवा तथा क्षीण थवा लागशे, तथा (ए रीते) ते फक्त एक मास सुधीज हवे जीवी शकशे // 487 // . .. जनं विसृज्य शय्यायां शायितोऽथ त्वग्रजः / स्थितोऽस्मि तत्स्वरूपं च ज्ञातुं पञ्चदिनी गृहे // 488 // अन्वयः-अथ जनं विसृज्य त्वग्रजः शय्यायां शायितः, च-तत्वरूपं ज्ञातुं पंचदिनीं गृहे स्थितः असि. // 488 // अर्थ:-पछी लोकोने विसर्जन करीने त्हारा ते म्होटा भाइ हंसने शय्यामा सुवाड्यो, तथा तेनी तबीयतनी स्थिति जोवामाटे SoSOOOOOOOOOOOOOOO ER P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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