Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 5
________________ सादरसमर्पण प.पू. समतामूर्ति प्रव. श्री विचक्षण श्रीजी म. सा. प:पू. प्रव. श्री तिलक श्रीजी म. सा. मोक्षपथानुगामिनी, आत्मअध्येता, समतामूर्ति, समन्वय साधिका परम पूज्या प्रवर्तिनी महोदया स्व. श्री विचक्षण श्री जी म.सा. एवं आगम रश्मि परम पूज्या प्रवर्तिनी महोदया स्व. श्री तिलक श्री जी म.सा. आपके अनन्त उपकारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आचारदिनकर की अनुवादित यह कृति आपके पावन पाद प्रसूनों में समर्पित करते हुए अत्यन्त आत्मिक उल्लास की अनुभूति हो रही है। आपकी दिव्यकृपा जिनवाणी की सेवा एवं शासन प्रभावना हेतु सम्बल प्रदान करें - यही अभिलाषा हैं। -साध्वी मोक्षरत्ना Jain Education International For Private & Personal use only www.jamelibrary.orgPage Navigation
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