Book Title: Pratima Shatak
Author(s): Yashovijay Maharaj, Bhavprabhsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ अनुक्रमणिका. १५ श्री लगवतीसूत्रमा चारणमुनियोए करेली प्रतिमा संबंधी वंदनानुं विस्तार युक्त वर्णन. १५ १३ चारणमुनियोए करेली वंदना प्रमाणरुप नथी एवी कुमतियोनी वाणीने सिद्धांतानुसार निरुत्तर करवा हेतु युक्तिसहित वर्णन. १४ चैत्य शब्दनो अर्थ ज्ञान थाय ने एवी कुमतिनी वा पीनी उपहास्यताबतावी व्याकरणना नियमानुसारे तेने निरुत्तर करवारुप वर्णन. १५ देवताए अर्हतनी प्रतिमा वंदवा योग्य तथा शरण करवा योग्य ने तेनुं स्तुति गीत वर्णन. १६ जगवंतनी प्रतिमा अने दाढाउनी देवताउए करेली अनाशातनारुप विनयनो विचार । २३ १७ सूर्याल देवताए करेली नगवंतनी प्रतिमानी नक्तिना संबंधमां श्रीरायपसेणी उपांगना वचननो शास्त्राधार. २४ १७ ते आधारने कुमतियोए देवतानी स्थिति कहेवाथी, तेनुं निराकरण करवा सूर्याल देवतानी पूर्वापर हिता- . र्थता बतावी शास्त्राधार युक्त विस्तार सहित वर्णन. २६ १ए जिनेश्वर नगवंतनी प्रतिमानी पूजा देवताउने स्थिति मात्र जे. एवं कहेनारा कुमतियोनी हेतु युक्त उपहास्यतानुं वर्णन.ए २० प्रतिमा पूजनमां शक्रस्तव आदि चार जदोनुं विस्तारथी वर्णन करी, कुमतियोनी बतावेली अज्ञानतानुं वर्णन. ३१ २१ जगवंत श्रीमहावीर स्वामिए सूर्याल देवने जव्य आदि

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