Book Title: Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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अनुक्रमणिका. अनुक्रमांक ग्रंथोनां नाम.
पृष्ठांक. ५ बीजु वंदन कर्म उपर अव्य नावथी पांच दृष्टांतनुं धार. .... ४३५ ६त्रीजुं पासबादिक पांच अवंद निकनां नामर्नु हार. .... ४३७ ७ चोथु आचार्यादिक पांच वांदवा योग्य , तेनानामनुं छार. ४४१ - पांचमुं चार जण पासें वांदणां न देवराववां, तेनुं छार. .... ४४३ ए उई चार जण पासें प्रायः वांदणां देवरावां, तेनुं छार. ४४३ १० सातमुं पांच स्थानकें वादणां न देवां, तेनुं छार. .... ४४३ ११ आठमुं चार स्थानकें वांदणां देवानुं छार. १२ नवमुं आठ कारणें वांदणां देवां, तेनुं छार. .... ....४४४ १३ दशमुं वांदणां देतां पच्चीश आवश्यक सचवाय, तेनुं छार. ४४५ १४ अगीयारमुं मुहपत्तिनी पञ्चीश पमिलेहणानुं छार. .... ४४७ १५ बारमुं शरीरनी पच्चीश पमिलेहणानुं हार..... .... १६ तेरमुं वांदणामां वत्रीश दोष त्यागवा तेना नामर्नु छार. ४५० १७ चौदमुं वांदणां देतां ब गुण उपजे, तेना नामनुं हार. ४५४ १७ पन्नरमुं वांदणांमां गुरुनी स्थापना केम करवी? तत्स्वरूप छार. ४५४ १ए शोलमुंबे प्रकारना अवग्रहन हार. .... .... .... ४५६ २० सत्तरमु वांदणांना सूत्रांना अदरनी संख्या घार, तथा __अढारमुं पदनी संख्या- छार. ए बे छार, साथें कह्यां . ४५७ २१ उंगणीशमुं वांदणांना दायकनां व स्थानकोनुं द्वार. .... ४५७ २२ वीशमुं वांदणांनां न स्थानकमां ब गुरुवचन होय तेनुं छार. ४५ २३ एकवीशमुं तेत्रीश आशातना न लगामवी, तेनां नामोनुं हार. ४५ए
२४ बावीशमुं प्रनातें अने सांके ए बे वंदनक विधिनुं छार. .... ४६३ १११ ॥ तृतीय पच्चरकाण नाष्यस्यानुक्रमणिका ॥
१ पञ्चरकाणना मूल नवछारनां नाम तथा ए शब्दनो अर्थ. ४६६ २ पहेलुं उत्तर गुण पच्चरकाणना दश नेदनु छार..... .... ४६७ ३ बीजुंपच्चरकाण करवाना पाठ रूप चार प्रकारना विधिनुं छार. ४७१ ४त्रीजुं चार प्रकारना आहारना स्वरूप, छार. .... .... ४७६ ५ चोथु नवकारसी प्रमुखना आगारोनी संख्या यथार्थ. .... ४७० ६ पांचमुंब जदय तथा चार अजय मली दश विगश्नु हार,
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