Book Title: Pramanprameykalika
Author(s): Narendrasen  Maharaj, Darbarilal Kothiya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 6
________________ १. ग्रन्थ संकेत-सारिणी २. ग्रन्थमाला संपादकोंका वक्तव्य ३. प्राक्कथन ४. संपादकीय ५. प्रस्तावना विषयानुक्रमणिका ( १ ) ग्रन्थ ( क ) प्रमाणप्रमेयकलिका ( ख ) नाम ( ग ) भाषा और रचना-शैली घ) बाह्य विषय-परिचय (ङ) आभ्यन्तरविषय- परिचय १. मंगलाचरण २. तत्त्व - जिज्ञासा ३. प्रमाणतत्त्व - परीक्षा ( अ ) ज्ञातृव्यापार - परीक्षा ( आ ) इन्द्रियवृत्ति परीक्षा (इ) कारकसाकल्य-परीक्षा (ई) सन्निकर्ष - परीक्षा ( उ ) प्रमाणका निर्दोष स्वरूप ( ऊ ) प्रमाणका फल ( ऋ ) प्रमाण और फलका भेदाभेद ( ऋ) ज्ञानके अनिवार्य कारण Jain Education International For Private & Personal Use Only ७ ११ १५ ३१ १-६० १ १ १ २ ४ 8 ७ ११ ११ १४ १५ १६ १८ १३ १९ २० www.jainelibrary.org

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