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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध - सन्दर्भ
प्रका०- प्रभा प्रकाशन, 18 /552 विजय पार्क, मौजपुर, दिल्ली- 110053 प्रथम : 1989 तथा 2000 / 200-00 तथा 300-00 / 620 तथा 424 अ० - शिष्यहितान्यास (1) कातन्त्र व्याकरण का परिचय (2) कातन्त्र व्याकरण सम्प्रदाय के चर्चित पाठ (3) शिष्यहितावृत्ति एवं शिष्यालोकन्यास तथा उनके रचयिता उग्रभूति भट्ट (4) शिष्यहितावृत्ति एवं न्यास (5) सन्धिप्रकरणम्, नाम प्रकरणम्, आख्यात प्रकरणम्, कृत्प्रकरणम्, पाठालोचनपूर्वकमध्ययनम् । शिष्यहितावृत्ति (1) मूलसूत्र एवं व्याख्या ।
477. मिश्र, विधाता
हिन्दी के विशेष सन्दर्भ में प्राकृत का भाषाशास्त्रीय अध्ययन पटना, 1963, अप्रकाशित
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा (बिहार)
478. मिश्र, सुभाषचन्द्र
अपभ्रंश एवं हिन्दी की संधिकालीन कृतियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन जबलपुर, 1971, अप्रकाशित
479. Mishra, Harshnath
A Critical Study of Chandra Vyakarana Vritti on the basis of a new manuscript.
Delhi, 1972, Unpublished.
480. मुद्गल, नित्यानन्द
शौरसेनी अपभ्रंश और पश्चिमी हिन्दी की उत्पत्ति
आगरा, 1972, अप्रकाशित
नि०- डा० बच्चूलाल अवस्थी
481. रस्तौगी, एन० एल०
वररुचिकृत प्राकृतप्रकाश का आलोचनात्मक एवं सामाजिक अध्ययन
लखनऊ, 1978, अप्रकाशित
482. Ray, Suchitra
Maharastri as Represented in the setubandha of Prabara sena: Exhaustive study of Vowels only.
Kolkata, 1993, Unpublished.
483. शर्मा, ओम प्रकाश
कासकृत्स्न, पाणिनीय और कातन्त्र धातुपाठों का तुलनात्मक अध्ययन कुरुक्षेत्र, 1993, अप्रकाशित
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