Book Title: Prakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Kailashchandra Jain Smruti Nyas

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Page 157
________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 149 द्वारा श्री यशपाल कीमतीलाल, कपड़े के व्यापारी, शिवपुरी (म०प्र०) प्रका०- श्री काशीनाथ सराक, श्री विजय धर्माशी समाधि मंदिर, शिवपुरी (म०प्र०) प्रथम : 1991/35.00/16 + 200 अ०- (1) मुगल काल में जैन धर्म एवं आचार्य परम्परा (2) अकबर की धार्मिक नीति, (3) अकबर का जैन आचार्यों एवं मुनियों से सम्पर्क तथा उनका प्रभाव, (4) जहाँगीर की धार्मिक-नीति, (5) जहाँगीर का जैन संतों से सम्पर्क, (6) शाहजहाँ की धार्मिक नीति एवं जैन धर्म (7) उपसंहार, परिशिष्ट संख्या-101 778. जैन, नीता प्राचीन उत्तर भारत में जैन साध्वियों (आर्यिकाओं) का योगदान आगरा, 1991, अप्रकाशित नि०- डा० (कु०) ललितावती द्वारा श्री पारस कुमार जैन, पुत्र श्री मानिक चन्द, घी वाले, दाना ओली लश्कर, ग्वालियर (म०प्र०) 779. जैन, पी० सी० मध्यकालीन मालवा में जैन धर्म : 700 से 1800 ई० तक विक्रम, 1993, अप्रकाशित नि०- डा० एस० एस० निगम, उज्जैन (म०प्र०) 780. जैन, भागचन्द 'भागेन्दु देवगढ़ की जैन कला का सांस्कृतिक अध्ययन सागर, 1969, प्रकाशित (भा० ज्ञा०, दिल्ली) सरस्वती कालोनी, दमोह (म०प्र०) 781. जैन, भागचन्द्र 'भास्कर' (डी० लिट्०) श्रामणिक-साहित्य, दर्शन और संस्कृति का इतिहास नागपुर, 1979, अप्रकाशित पूर्व अध्यक्ष, पालि एवं प्राकृत विभाग नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर 782. जैन, भूपेश चन्द जैन ग्रन्थों के आधार पर 9-10 वीं शताब्दी में उत्तर भारत की सामाजिक दशा आगरा, 1964, अप्रकाशित 783. जैन, मनोज कुमार (लघु प्रबन्ध) जैन धर्म का इतिहास एवं इन्दौर जिले के प्रमुख जैन मन्दिरों की स्थापत्य कला इन्दौर, 1994, अप्रकाशित नि०- प्रो० स्वरूप नारायण बाजपेयी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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