Book Title: Prakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Kailashchandra Jain Smruti Nyas

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Page 171
________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 163 872. वेंकट, श्रीनिवास (के० वी० एस० पी० बी० आचार्युलु) जैन एवं वैखानस योग का आलोचनात्मक अध्ययन वाराणसी, 1993, अप्रकाशित नि०- डा० सागरमल जैन 883. वैद्य, राम माधव अद्वैत वेदान्त व जैन दर्शन ग्रन्थमाधील एकात्म मानव दर्शन (मराठी) नागपुर, 1999, अप्रकाशित नि०-- डा० एस० एम० अयाचित, संस्कृत विभाग, नागपुर वि० वि०, नागपुर 874. Sharan, Om Prakash A Study of Religion and its different expressions with special reference to Brahmanical, Buddhist and Jaina religious movements. Magadh, 1967, Published. 875. शर्मा, देवीशंकर आचार्य हरिभद्र एवं पतंजलि का योग विषयक चिन्तनः एक तुलनात्मक अध्ययन लाडनूं, 2002, अप्रकाशित नि०- डा० अशोक कुमार जैन 876. शर्मा, रमेशचन्द आगम और कबीर अलीगढ़, 1982, अप्रकाशित नि०- डा० प्रेमस्वरूप गुप्त 877. शर्मा, रामकिशोर सांख्य तथा जैन तत्त्व ज्ञान एवं आचार का तुलनात्मक अध्ययन आगरा, 1974, प्रकाशित पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, एन० ए० एस० कालेज, मेरठ (उ०प्र०) जादूगिर का बाग, नौचन्दी रोड, मेरठ (उ०प्र०) प्रका०- ज्ञान प्रकाशन, सुभाष बाजार, मेरठ-250002 (उ०प्र०) प्रथम : 1987/72.00/28 x 217 अ०- (1) सांख्य दर्शन का परिचय, (2) सांख्य में दार्शनिक सिद्धान्त एवं मूलतत्त्व, (3) जैन दर्शन का परिचय, (4) जैन दर्शन सम्मत तत्त्व-व्यवस्था, (5) सांख्य एवं जैन दर्शन की तत्त्वमीमांसा की तुलना,(6) सांख्य एवं जैन दर्शन के आचार पक्ष का तुलनात्मक अध्ययन, (7) उपसंहार। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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