Book Title: Prakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Kailashchandra Jain Smruti Nyas

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Page 193
________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध- सन्दर्भ 1005. सिंह, आर० पी० महाकवि स्वयम्भू : काव्य सौन्दर्य एवं दर्शन गढ़वाल, 1996, अप्रकाशित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी (उत्तरांचल) 1006. Sheth, Saryu Bhogilal Shrimad Rajachandra: A Study Mumbai, 1966, Unpublished. 1007. Handi, S. C. Nagachandra and his works Dharwad, , Unpublished. जैन समाजशास्त्र JAINA SOCIOLOGY 1008. जैन, अलका इन्दौर नगर के जैन समाज में प्रमुख जैन साध्वियों की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन इन्दौर, 2002, अप्रकाशित नि०- प्रो० आर० के० नानावटी, इन्दौर 1009. जैन, के० सी० (कोमलचन्द्र ) जैन और बौद्ध आगमों में नारी वाराणसी, 1967, प्रकाशित पूर्व प्रोफेसर - पालि विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221005 57, रोहित नगर, नरिया, वाराणसी-221005 1010. जैन, कोमल (श्रीमती) जैन आगमों में नारी जीवन इन्दौर, प्रकाशित नि०- डा० सुशीला पन्त पद्मजा स्कूल 6, महावीर नगर, देवास ( म०प्र०) प्रका०- पद्मजा प्रकाशन, गुडलक स्टोर्स, देवास ( म०प्र०) Jain Education International 185 प्रथम : 1986 / 75.00/ 16 + 264 अ०- (1) भारतीय नारी (2) वीरकाल की संस्कृति, (3) जैन साहित्य में वर्णित नारी के विभिन्न रूप, (4) नारी की धार्मिक स्थिति के विभिन्न दृष्टिकोण, (5) सामाजिक पृष्ठभूमि में नारी का मूल्यांकन, (6) अहिंसा के सन्दर्भ में नारी, (7) सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में नारी, (8) तुलनात्मक अध्ययन, उपसंहार । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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