Book Title: Prakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Kailashchandra Jain Smruti Nyas

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Page 161
________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 153 804. परोचे, शिव कुमार मध्यकालीन युग में सागर जिले में जैन धर्म (सातवीं से अठारहवीं शती तक) सागर 1996, अप्रकाशित नि०- डा० सन्तोष कुमार वाजपेयी M.I.G. III 177, दीनदयाल नगर, मकरोनिया, सागर (म०प्र०) 805. पाठक, शुभा त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र : एक कला परक अध्ययन वाराणसी, 1991, अप्रकाशित नि०- डा० मारुतिनंदन प्रसाद तिवारी 806. बाजपेयी, मधूलिका मध्यप्रदेश की जैन कला जबलपुर, 1992, प्रकाशित (परिमल प्रकाशन, दिल्ली) नि०-- डा० राजकुमार शर्मा, जबलपुर (म०प्र०) (डी० लिट्०) 807. भण्डारी, जय जैन वाङ्मय में श्रेणिक चरित्र : एक तुलनात्मक अध्ययन पूना, 1990, अप्रकाशित नि०- डा० दयाराम पाटील, मराठी विभाग, तुलसाराम चतुरचन्द महाविद्यालय, बारामती (महाराष्ट्र) 808. माथुर, प्रतिभा (लघु शोध प्रबन्ध) मन्दिर स्थापत्य तथा मूर्तिकला के सन्दर्भ में ग्यारसपुर का विशेष अध्ययन भोपाल, 1982, अप्रकाशित 809. Mitra, Deb Jani A survey of Jainism and Jaina art of Eastern India with special emphasis on Bengal, from earliest period to the thirteenth century A. D. Kolkata, 1992, Unpublished. 810. मिश्र, असीम कुमार ऐतिहासिक अध्ययन के जैन स्रोत एवं उनकी प्रामाणिकता : एक अध्ययन वाराणसी, ..... 811.Mishra,K. Introduction and Development of Jainism in South India. Kolkata, 1973, Unpublished. 812. Mishra, Jogendra Early History of Vaishali Patna, 1958, Published. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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