Book Title: Prakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Kailashchandra Jain Smruti Nyas

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Page 133
________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 125 - 621. मिश्र, बांके बिहारी तत्त्वार्थसूत्रस्य पूज्यपादकृतसर्वार्थसिद्धिः अन्याश्च मुख्याष्टीकाः (संस्कृत) संस्कृत संस्थान, 1995-96, अप्रकाशित नि०- डा० रूपनारायण त्रिपाठी, केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, जयपुर (राजस्थान) 622. मिश्र, नागेन्द्र आचार्य अमृतचन्द्र सूरि कृत समयसार टीका का दार्शनिक अनुशीलन वाराणसी, 1989, अप्रकाशित नि०- डा० उमेशचंद दुबे, दर्शन विभाग, का० हि० वि० वि०, वाराणसी 623. Mishra,Madhusudhan (M. Phill) A critical study of Amrta chandra's Purusharthasiddhyupayah Poona, 1988,Unpublished. Sup.- Dr. S.M. Shaha 624. मिश्र, रवीन्द्रनाथ जैन कर्मसिद्धान्त का ऐतिहासिक विश्लेषण वाराणसी, 1986, प्रकाशित नि०- डा० सागरमल जैन, वाराणसी 'जैन कर्मसिद्धान्त का उद्भव और विकास' नाम से पा० शो० से प्रकाशित 625. मुनिश्री, अरुण विजय महाराज जैन धर्म में जगत एवं ईश्वर स्वरूप मीमांसा (2 भाग) पूना, ........, अप्रकाशित C/o श्री जुह जैन संघ, मोदी कुंज, आराधना भवन, वी० पी० डी० स्कीम नार्थ-साउथ रोड़, विले पारले (वेस्ट) मुम्बई-400056 626. मुनिश्री, पदम जी महाराज भारतीय दर्शनों का प्राणतत्त्व स्यादवाद राजस्थान, 1992, अप्रकाशित द्वारा श्री गौतम ललवाणी जी, 186 'पारस' शास्त्रीनगर, जोधपुर (राजस्थान) 627. यादव, भिखारी राम जैन तर्कशास्त्र के सात तत्त्वों का विधान और उनकी आधुनिक व्याख्या वाराणसी, 1983, प्रकाशित व्याख्याता, दर्शन विभाग, एस० एस० डिग्री कॉलेज, औरंगाबाद (बिहार) प्रका०- पा० शो०, वाराणसी ("स्याद्वाद और सप्तभंगीनय' नाम से प्रकाशित) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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