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प्रथम : 1985 / 56.00/ 30 + 450
अ०- (1) भारतीयसांस्कृतिकपरम्परायां देवतत्त्वम्, (2) वैदिक - देवस्वरूप-विमर्श; (3) वैदिकपरम्परायां देवधारणायाः उद्भवविकासौ, (4) पुराणादिषु देवाः देवलोकाश्च, (5) श्रौतदर्शनदेषु देवत्वम् (6) तार्किक्यां परम्परायां देवत्वम्, (7) श्रमणपरम्परायां देवत्वावधारणा, (8) पंचपरमेष्ठिप्रभृति देवाः, ( 9 ) जैनवांग्मये देवगतिनिरूपणम्, (10) उपसंहारः समीक्षणं च ।
643. शास्त्री, लाल बहादुर ( स्व० )
आचार्य कुन्दकुन्द और उनका समयसार
आगरा, 1965, प्रकाशित
प्रका० - चाँदमल सरावगी चैरिटेबल ट्रस्ट, गौहाटी (आसाम)
Bibliography of Prakrit and Jaina Research
प्रथम : 1976 / 15.00/40 + 325
अ०– (1) कुन्द कुन्द का परिचय और व्यक्तित्व, ( 2 ) कुन्द कुन्द का युग, (3) कुन्द कुन्द का समय, ( 4 ) कुन्द कुन्द की रचनायें (5) समयसार : एक अध्ययन, ( 6 ) समयसार का सामाजिक जीवन पर प्रभाव, समयसार के अनुकर्ता, (8) कुन्द कुन्द की रचनाओं के टीकाकार ।
644. Shah, Umakant Paramanand
Elements of Jaina iconography Mumbai, 1953, Published.
645. Shah, Kokila
Nyay and Epistemology
Mumbai, 1980, Published. ( Shardaban Research Center, Ahamadabad ) Sup. - Dr. H.G. Mudgal
646. Shah, Jagruti N. ( Smt.)
Jain Darshan Vicharana Gujrat (L.D. Institute), 1990, Sup.- Pt. D.D. Malvania
647. शाह, जितेन्द्र बी०
नयचक्र का दार्शनिक अध्ययन वाराणसी, 1994, अप्रकाशित नि०- डा० सागरमल जैन
648. Shah, Nagindas J.
Dharmkirti and Akalanka: A Study of former by the later
Gujarat, 1965, Published. Sup. - Pt. Shukhalal Ji
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