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Bibliography of Prakrit and Jaina Research
की दार्शनिक दृष्टि (5) नियमसार में कुन्दकुन्दाचार्य की दार्शनिक दृष्टि, (6) कुन्दकुन्दाचार्य की कृतियों में आत्म-निरूपण (7) दार्शनिक सिद्धान्त,
उपसंहार। 538. गुप्ता, निशा (कु०)
भगवती आराधना का समीक्षात्मक अध्ययन बरेली, 1990, अप्रकाशित नि०-- डा० रमेशचन्द जैन, बिजनौर D/o श्री जवाहर लाल गुप्ता, मौ० कुँवरबालगोविन्द, बिजनौर (उ०प्र०)
539. Chougule,P.B.
Sallekhana : A Philosophical Study Kolhapur, 2002, Unpublished. Sup.- Dr. A. B. Dige, Annasaheb Dange Mahavidyalaya, Kolhapur
VardhmanB-18, Rukmani Nagar, Part II,Karaol-415110Distt.-Satara (M.S.) 540. चौधरी, अनिल कुमार
सम्यक्त्वचिन्तामणि का समीक्षात्मक अध्ययन (लघु प्रबन्ध) सागर, 1990, अप्रकाशित
नि०- डा भागचन्द भागेन्दु,दमोह (म०प्र०) 541. चौधरी, विश्वनाथ
कुन्द-कुन्द कृत नाटकत्रय
बिहार, 1983, अप्रकाशित 542. चौधरी, सुनीता
ज्ञानार्णव का समीक्षात्मक अध्ययन मेरठ, 2003, अप्रकाशित
नि०- डा० श्रेयांश कुमार जैन, बड़ौत 543. जैन, अनेकान्त
दार्शनिक समन्वय की दृष्टि : जैन नयवाद लाडनूं, 2002, अप्रकाशित
नि०- डा० दयानन्द भार्गव 544. Jain, Amara (Smt.)
A Comparative Study of the major commentaries of the Tattvarthasutra by Umasvati, Pujyapada, Haribhadra, Siddhasena, Bhattakalanka and Vidyanada. Delhi, 1974, Unpublished.
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