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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
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579. जैन, राजकुमारी
जैन दर्शन में ज्ञान का स्वरूप राजस्थान, 1978, अप्रकाशित नि०- डा० नन्दकिशोर शर्मा
D/o श्री ज्ञानचंद विल्टीवाला, आर्ट स्कूल के सामने, किशनपोल बाजार, जयपुर 580. जैन, लालचन्द
जैन दर्शन में आत्म-विचार : तुलनात्मक और समीक्षात्मक अध्ययन वाराणसी, 1979, प्रकाशित प्रका०- पा० शो०, वाराणसी प्रथम : 1984/50.00/8 + 318 + 4 अ०- (1) भूमिका : भारतीय दर्शन में आत्म-तत्त्व (2) आत्म-अस्तित्व-विमर्श
(3) आत्म-स्वरूप-विमर्श (4) आत्मा और कर्मविपाक (5) बन्ध और मोक्ष। 581. जैन, वसन्तलाल
गुणभद्राचार्यकृत आत्मानुशासनस्य समीक्षात्मकमध्ययनम् (संस्कृत) सम्पूर्णानन्द, 2002, अप्रकाशित
नि०- डा० फूलचंद प्रेमी, वाराणसी 582. जैन, शान्ता (मुमुक्षु)
लेश्या : एक विवेचनात्मक अध्ययन लाडनूं, 1993, प्रकाशित नि०- डा० नथमल टांटिया 'लेश्या और मनोविज्ञान' नाम से प्रकाशित प्रका०-- जैन विश्व भारती, लाडनूं-341306 प्रथम : 1996/150.00/228 अ०- (1) लेश्या का सैद्धान्तिक पक्ष, (2) मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में लेश्या, (3) रंगों की मनोवैज्ञानिक प्रस्तुति, (4) लेश्या और आभा मण्डल, (5) व्यक्तित्व और लेश्या, (6) सम्भव है व्यक्तित्व बदलाव, (7) जैन साधना पद्धति में ध्यान, (8) रंगध्यान
और लेश्या, उपसंहार। 583. Jain, Shanti
Jaina mysticism.
Udaipur, 1974, Unpublished. 584. जैन, श्रद्धा (कु०),
(लघु प्रबन्ध) जैन धर्म में मोक्ष की अवधारणा वनस्थली, 2002, अप्रकाशित नि०- प्रो० पेमा राम D/o श्री अनन्त कुमार जैन, 100 सराउ उद्यान, मैनपुरी-205001
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