Book Title: Prakrit Rupmala
Author(s): Kasturvijay
Publisher: Vadilal Bapulal Shah

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Page 308
________________ वि-स्मृ प्र-सृ निम्-सृ जागृ सं-वृ वि-आ-पृ आ-दृ प्र-ह སྶ ཝ ཝཝཀྑཱུ फक्कू लग मगू रियू श्लाघ ख पच मुचू मुच. वञ्च मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ पम्हुस, विम्हर, विसर सिच प्रच्छ्र लग्ग, मग्ग, रिंग, सलह वेअड, खच, सोल्ल, पउल्ल छड्डू, अवहेड, मेल्ल उस्क्कि, रेअव, णिल्लु पयल्ल, उवेल्ल, पसर णीहर, नील. धाड, वरहाड जग्ग, जागर साहर, साहड आअड्ड-वावर व्यापारकर वो आदरकरवी सन्नाम, आदर सार, प्रहर ओह, ओरल, पहारकरवी नीचे उतर झा ध्यान करवुं गा गाव चय, तर, तीर,पार, लक्क शक्तिमान् होवु. थक्क अनाचरण करवु धीमु जं ज प्रवेशकrat खाणं जन्मलेवो, पवित्रकर. 'पकाव मुकवुं, छोडवु ञ्छ, घंसाड मुअ. णिव्वल वेहव, वेलव, जूरव, 'उमच्छ, वंच. उग्गह, अवह विडविड, रच रच् सम्-आ-रच उवहत्थ, सारव, समार केलाय, समारय सिश्च, सिम्प, सेअ पुच्छ (३५) 4.. विस्मरणथं भूलीजवु पसारथवुं. चालवु नीकलवु जोगवुं एकटुं करवु दलगीरी बताaat, ठगवुं रचवु, बनाववु सारीरीते गोठव सेक करवो, सीञ्च . प्रश्न करवा पुछवुं

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