Book Title: Prakrit Rupmala
Author(s): Kasturvijay
Publisher: Vadilal Bapulal Shah
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(३४)
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Pronowinnen
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ ॥ श्री वीतरागाय नमः ॥
॥ ॥ संस्कृतादेशप्राकृतधातुकोशः ॥
संस्कृत धातषः प्राकृत धातवः
अर्थः .. SUT जाण, मुण,
जाणवू उद-हमा उघुमा
अतिशय धमधमवं श्रद्-धा
श्रद्धा करवी . पा (पिब्) पिज्ज,डल्ल,पट्ट,घोट्ट,पिअ. पीवु... नि-द्रा
ओहीर, ओङ्घ, निहा निद्रा करवी आ-घ्रा
आइग्घ, अग्धा सुंघर्बु स्ना,
अब्भुत, पहा .. स्नान करवु
ठा, थक्क, चिट्ठ, निरप्प,, · उभारहेQ उदू-स्था उक्कुक्कुर, उह उठवू म्ला
वा, पथ्याय मिला, म्लानीपामधु,करमायु निर-मा निम्माण, निम्मथ निर्माणकरबु,
बनावबु णिज्मर, झे,
नाश पामवु किण
खरीद करवू भा, बिह
भय पामवु. नि-ली, णिलीअ,णिलुक्क,णिरिग्घ, लीनथवु, एकतानथवु
लुक्क, लिक्क, लिहक्क । एकाग्रथवु,एकरूपथषु वि-ली विरा, विले
विलयपाम,
लइजवु, दोरवं, रुञ्ज. रुण्ट, रव
शब्दकरवो हण, सुण,
सांभळवू धुव, धुण,
धुजाववु-हलाव हो, हुव. हव, भव, होवू, थb, कुण. कर.
करवु झर, झूर, भर. भल, लढ, स्मरणकरवू,संभाळवू विम्हर.सुमर,पयर,पम्हुह,सर
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