Book Title: Prakrit Rupmala
Author(s): Kasturvijay
Publisher: Vadilal Bapulal Shah
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(४२)
वि-कस्
हस्
स्रंस्
त्रस्
नि-अस् परि-अस्
आम्
निस् श्वस्
उत्-लस्
भासू
प्रस्
अव-गाह
आ-रूह
मुहू
दह्
ग्रह
चि जि
া কথ ঐ ঐ
to be too
पू
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
कोआस, वो सट्ट. विअस,
गुञ्ज, हस
ल्हस, डिम्भ, संस,
डर, बोज्ज, वज्ज, तस
णिम, णुम
पोट्ट, पल्लट्ट, पल्हत्थ
अच्छ
बेसवु
झंख, निस्स
निःश्वास लेवो.
ऊसल, ऊसुम्भ, पिल्ल् स पुलआअ, उल्लास पामषो,
गुञ्जोल्ड, गुजुल्ल, आरोअ, उल्लस,
भिस्, भास्
घिस,
गस,
ओवाह अवगाह, ओगाह,
चड, वलग्ग, आरुह
गुम्मड, मुज्झ, गुम्म
अहिऊल, आलुङ्ख, डह वल, गेह, हर, पङ्ग, निरुत्रार, अहिपच्चुअ
॥ प्राकृतकर्मणिधातवः ॥
चिव्व, चिण, चिम, जिव्व, जिण, सुब्ब, सुण
हुव्व, हुण, थुव्व, थुण
विकास पामवु
ह
नाश पामवु
त्रास पावुं
लुव्व, लुण,
पुत्र, पुण धुठव, धुण,
स्थापन करवु
फेव. बु.
चमक, भावु
खावु लेवु, घेर अवगाहना करवी . आरोहण कर.
चढवु
मुझ
बल दाझवु
ग्रहण करवु,
एक करवु . 'जीत'
सुण सांभळवु होम करवो स्तुति करवी
वखाण
काप, छेद
पावन करवु
धूजवु, हलाव
धुज्जावं
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