Book Title: Prakrit Rupmala
Author(s): Kasturvijay
Publisher: Vadilal Bapulal Shah
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पच्च्याच्वन्ट
प्राकृत
क्षिपू
गम्
गृधू
॥ मुनि कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥ प्राकृत. संस्कृतः
संस्कृत ओहोर नि- द्रा ओसुक्क तिज्
खुप्प
मज्ज् कवि- कृ
खेड्ड
रम् कइट कृष्
गच्छ
गम् कढ . क्वथू
गच्छ कत्थ कथ गढ
घट कमवस
गण्ड
ग्रन्थ् कम्म . कृ
गम्म
गम् कम्म भुजू
गमेस गवेष कम्मष उप-,
गल सं-घद करा. भञ्ज
गलत्थ का कृ
गश्च किण..
गा . किलिकिश्च
गिज्झ कीर कृ
• गुञ्ज
हम् . कुक्कर उद्- ष्ठा
गुजोल्ल उत्- लम् कुज्झ. . कुध्
गुण्ठ उद्- धूल कुण. कृ
गुम
अम् कुप्प . कुप्
गुम्म
मुह । कोआस. वि-कम्
गुम्मड . कोक व्या-ह
गुंछु उत्- क्षिप् कोटुम. . रम् केलाय. समा- रच
गुल
भ्रम् खउर. . शुभ
गुलगुञ्छ क्षिप् : खड्डू . मृद्
गुलुगुञ्छ उद्- नम् खम्म खंज
गृह खा सं- स्त्या
गेण्ह खाद्
घत्त खिज्ज खिद्
घत्त गवेष खिर
ग्रस् खुट्ट
गुलल
ग्रह
खा.
क्षिप
तुइ.
घुम्म
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