Book Title: Prakrit Rupmala
Author(s): Kasturvijay
Publisher: Vadilal Bapulal Shah

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Page 311
________________ (३८) वि-सं-बद् शद आ-कन्द खिद् रिषद् सिज्ज संपद् रुध् . नि-सिध युध ॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ विअट्ट,विलोट्ट,फंस, विरुद्धबोलवू विसंवय झड, पक्खीड नाश पामवं णीहर, अक्कन्द आक्रन्द करवो, विलाप करतो जूर, घिसूर, खिज्ज खेदपामघो ... परसेवो थयो .. रुव, रोव, रोवू संपज्ज उत्पन्न थर्बु .. उत्थंध,रुन्ध,रुम्भ,रुज्झ रोधवु,रोक हक्क, निसेह, निषेध करवो. जुज्झ युद्ध करवु . बुज्झ बोधपामवो, जाणवू गिज्झ लोभकरवो वड्ढ वृधिपामवी सिद्ध थq जूर, कुज्झ क्रोधकरवो जा, जम्म, उत्पन्न थq तड, तह, तहव, विरल्लं, विस्तार करवू, तण पाथरवू हम्म हणवू, मारवं हम्म,णिहम्म,मोहम्म, आ. जq .. हम्म, पहम्म, थिप्प, तृप्त थq . अल्लिअ, उवसप्प चालवु खस, ओअग्ग, वाव, व्यापकथएँ झंख,संतप्प दुःखीथवु, ओअग्ग, वाय, व्यापकथवु, समाण, समाव समाप्त करवू . गल्लत्थ,अड्डक्ख,सोल्ल, फेकवू पेल्ल,णोल्ल,णुल्ल,छुह, हुल.परी.धत्त,खिव. सिज्झ, 理型向型肌研 环 प उप-सृप वि-आप . सं-त वि-आप् सम्-आप् क्षिपू

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