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पाठ १ : सर्वनाम [क] सर्वनाम (उत्तम पुरुष) प्रथमा विभक्ति उदाहरण वाक्य:
अहं = मैं
एकवचन
अहं पातो जग्गामि अहं पइदिणं पढामि अहं सया खेलामि अहं अईव हसामि अहं खिप्पं चलामि अहं सइ जिमामि अहं अप्पं बोल्लामि • अहं मुहु पुच्छामि अहं सम्म जाणामि अहं सुहे सयामि
मैं प्रात:काल जागता/जागती हूँ। में प्रतिदिन पढ़ता पढ़ती हूँ। मैं सदा खेलता/खेलती हूँ। मैं बहुत हँसता/ हँसती हूँ। मैं शीघ्र चलता/चलती हूँ। मैं एक बार जीमता/जीमती हूँ। मैं थोड़ा बोलता बोलती हूँ। मैं बार-बार पूछता/ पूछती हैं। मैं भली प्रकार जानता/जानती हूँ। मैं सुखपूर्वक सोता| सोती हूँ।
अम्हे हम दोनों हम सब
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बहुवचन
अम्हे पातो जग्गामो अम्हे पइदिणं पढामो अम्हे सया खेलामो अम्हे अईव हसामो अम्हे खिप्पं चलामो अम्हे सइ जिमामो अम्हे अप्पं बोल्लामो अम्हे मुहु पुच्छामो अम्हे सम्म जारणामो अम्हे सुहं सयामो
हम दोनों हम सब प्रातःकाल जागते हैं। हम सब प्रतिदिन पढ़ते पढ़ती हैं । हम सब सदा खेलते खेलती हैं। हम सब बहुत हँसते हँसती हैं । हम दोनों शीघ्र चलते हैं। हम सब एक बार जीमते हैं। हम सब थोड़ा बोलते हैं। हम दोनों बार-बार पूछते हैं। हम सब भली प्रकार जानते हैं। हम सब सुखपूर्वक सोते हैं।
प्राकृत काव्य-मंजरी
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