Book Title: Prakrit Kavya Manjari
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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(ख) प्राकृत पद्य-संग्रह
पृष्ठ ४६-१२७ पाठ ११. पाइय कव्वं
संकलित
४६-४७ १२. सिक्खा-विवेप्रो
माख्यानमणिकोश
४८-५१ १३. कुमाराण बुद्धि-परिक्सरणं अभयक्वाणय
५२-५५ १४. सज्जरण-सरूवो
वज्जालग्ग
५६-५६ १५. सहलं-मणुजम्म
कुम्मापुत्तरिय
६०-६३ १६. माणुसस्स कयग्यमा मुरिणपइचरियं
६४-१७ १७. रणयर-वण्णरणं
सुरसुदरीचरियं
६८-७१ १८. समुद्द-गमरणं
पाइयकहा-संगहो
७२-७५ १६ गुरुवएसो
कुवलयमालाकहा
७६-७६ २०. सिक्खानीई
समरणसुत्तं-चयनिका
८०-८४ २१. कुसलो पुत्तो
प्रास्यानमणिकोश
८५-८७ २२. साहसी प्रगडगत्तो प्राकृतकथा-संग्रह
८८-११ २३. अहिंसा-खमा
संकलित
६२-६५ २४. अहिंसनो बाहुबली पउमरियं
६६-६६ २५. कहा-वरणरणं
लीलावईकहा
१.००-१०३ २६ जीवरण-मुल्ल
बज्यालग्ग में जीवन-मूल्य १०४-१.७ २७. गाहामाहुरी
गाहासत्तसई
१०८-१११ २८. बुद्धिमतो रोहयो प्राख्यानमरिणकोश
११२-११५ २६. जीवरण-ववहारो
महत्ववचन
११६-११९ ३०. कवि-अणुभई
वाक्पतिराज की लोकानुभूति १२०-१२ ३१. पाइय-अहिलेहो घटयाल अभिलेख
१२४-१२७ (ग) प्राकृत भाषा एवं साहित्य
पृष्ठ १२८-१४३ (घ) परिशिष्ट
पृष्ठ १४४-१९० १. प्राकृत व्याकरण-चार्ट (सर्वनाम संज्ञा, किया, कृदन्त)
१४४-१४७ २. प्राकृत पद्य-संग्रह का अनुवाद
१४८-१८५ ३. अपठित प्राकृत गाथाए
१८६-१८८ ४. सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची
१८६-१९०
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