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प्राकृत व्याकररण की रूपरेखा
पाठ १ : सर्वनाम
(प्रथमा)
पाठ २ : संज्ञा शब्द (क) पुलिंग ख ) स्त्रीलिंग (ग) नपुंसकलिंग (घ) मिश्रित सर्वनाम एवं संज्ञाए,
( प्रथम । )
नियम मिश्रित प्रयोग, अभ्यास |
पाठ ४ : कृदन्त
अनुक्रमणिका
पाठ ३ : क्रियारूप (क) वर्तमानकाल (ख) भूतकाल (ग) भविष्यकाल
(घ प्राज्ञा / इच्छा (ङ) आकारास्त आदि क्रियाएँ, नियम (क्रिया), अभ्यास ।
पाठ ५ : कारक
(क) उत्तम पुरुष (ख) मध्यम पुरुष (ग) अन्य पुरुष (पु) (घ) प्र. पु स्त्रीलिंग (ङ) मिश्रित प्रयोग, अभ्यास, नियम (सर्वनाम) |
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१. सम्बन्ध २. हेत्वर्थ ३. वर्तमान कृ.
४. भूतकालिक कृ. ५. भविष्य कृ. ६. योग्यतासूचक, नियम (कृदन्त), अभ्यास ।
(षष्ठी विभक्ति)
१. गिह- डववनं २. विज्जाल
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(षष्ठी
(द्वितीया "
(द्वितीया
(सप्तमी
(तृतीया
(चतुर्थी ८. लोन समं (पंचमी
पाठ ६ : बत्तालावं पाठ ७ : जीवलोश्रो
३. कुडुम्ब ४. पभायबेला
५ गुण - गरिमा
६. दिराचरिया ७. सरोवरं
नियम ( कारक )
(प्रध्यय प्रयोग ) (मिश्रित प्रयोग)
पाठ ८ : भ्रम्हाणपुञ्जरणीघ्रा (मिश्रित प्रयोग )
पाठ : संधि एवं समास - प्रयोग
पाठ १० : कर्मरिण प्रयोग (नियम)
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