Book Title: Pradyumn Haran
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ राजन, पत्रिका में तुम्हारे लग्न में विधके ठीक है। ऐसा ही करूंगा। और कोई आदेश। स्पष्ट संकेत है तुम्हारे शरीरकोभी कष्ट पहुंच सकता हैं। इसलिए तम्हें कुंडनपुर सेना लेकर जाना चाहिए। मैंने तुम्हें सचेत कर दिया। आगेतुम्हारी इच्छा अबचलता हूँ अरहंत। अरहत।। अच्छा मुनिवर। 900 नारदजी चंदेरी से कुडनपुर चले गये।वहां रूक्मिणी और उसकी बुआको समझा बुझाकर मोकातर-भ्रमण के लिए निकल गष्ट। बुआजी,नारदजीकहतोगटहैं। किन्तु श्रीकृष्ण नहीं आटतो? . कुंडनपुर में पांचवे दिन प्रातः ही शिशुपाल के सैनिकोंने नगर में जगह-जगह डेरा डाल दिया। muTITUm ऐसा नहीं हो सकता। श्रीकृष्ण पावन में अवश्य पहुंचेंगे। वहां चलने की तैयारी कर। सुना है नगर में सब जगह शिशुपाल के सैनिक तैनात हैं। अगर उन्होंने हमें वहां नहीं। जाने दिया,तो? 550000 प्रजा सामकीजुटा। मैं तेरे साथ चलूंगी। देखती हं.तुके वहां जाने से कौन शकताहेर (LOAMREVINTOTASHATTERTALIMITTHALALITISHAD

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32