Book Title: Pradyumn Haran
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ समुन्द्र और कुछ दिन बाद एक रात के पिछले पहर मेंरुक्मिणीनेछः स्वम देरखे। अगले दिन उन्होंने श्रीकृष्ण को उनस्वनों के बारे में बताया। हेस्वामी रात (निर्धूम अग्नि मैंनेछःस्वनदेने... चन्द्रमा टेरावत हाबी / हे प्रिये।इन स्वप्नों का फलबहुत अच्छा है। निकट भविष्य महीतुमको अति तेजस्वी पुत्र प्राप्त होगा। उगतामा घठे स्वप में मैंने सत्यभामा नेभीकुछ स्वयं को विमान ऐसे ही स्वप्नदेखे। में बैठे देखा। ऐमाह बीतने पर दोनों ने एक-एक पत्रको जन्म दिया श्रीकृष्ठा ने दोनों काजन्मोत्सव उन्नास के साथ मनाया रुक्मिणीके नवजात पुत्र के गायब होजाने का सामाचार द्वारिका में सर्वत्र फैल गया। श्रीकृष्ण ने अपने मंत्रियों और सेनापतियों को संबोधित किया।। मंत्रिवर,रूक्मिणी पुत्र का हरण अति लज्जा और शोककी बात है। सभी दिशाओं में सैनिक भेज दीजिए। शीघ्रातिशीध्र शिशुका पता लगाई। जो आज्ञा,महाराज VINIL This सेनिक बालक की रखोज में सभी दिशाओं में दौड़ पड़े। कुछ दिन और जीत गए। किमणीपुत्र काकहीं कोई यतानही चमा एक दिन नारदर्जी श्रीकृष्णकी सभा में आए अरहत! अरहंत!! कल्याण हो, द्वारिकाधीशा पधारिए मुनिराज! मैं तो पल-पल आपकी प्रतीक्षा कर रहा था। रुक्मिणी के नवजात पुत्रका हरण होगया है। अभी तक पता नहीं चला। TV

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