Book Title: Pradyumn Haran
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 24
________________ रूक्मिणी क्षुल्लक जी से धर्मचर्चा करने लगी। हे पूज्यवर। सम्यकत्व के कितने अंग होते हैं? देवी सम्यकत्व के आठ अंगहोते हैं) हे श्रद्धेया नारदजी द्वारा बताए पुत्र आगमन के सभी लक्षण प्रकट हो. देस गए हैं। किंतु वह कहीं नहीं दिखाई। ध्यानसे देखो,मैं देता।यहम्या रहस्य है। ही तुम्हारा पुत्र प्रद्युम्न क्षुल्लकजीरूपी प्रद्युम्नने आठ अंगोका विस्तारसे विवेचन किया। प्रद्युम्न के आगमन के नारदजी द्वारा बताए लक्षण प्रकट होने लगे। गूंगे बोलने, बहरेसुनने लगे सूखेवृक्षहरेहो गए,कुरूपरूपवान हो गए आदि क्षुल्लक का रूप त्याग प्रद्युम्न ने अपना असली रूप प्रकट किया। रुक्मिणीने प्रद्युम्न को अंक में भर लिया,वह हर्ष से पागल हो उठी। 481AL उसी समय महारानीसत्यभामा की दासियां आती दिखाई दी। उन्हें देख रुक्मिणी। बहुत चिंतित हो उठी। क्या बताऊं बेटा, देवयोगसे हे माता! इन दासियोंको आता तुम्हारा तो हरण होगया था आज देख आपउदास सत्यभामाजीके पुत्र काउदधिकुमारी और चिंतित के साथ विवाह होगा प्रतिज्ञा के क्यों हो गई अनुसार आज सत्यभामाजी मेरी चोटी पर अपना पैर रखेंगीये दासियां मुझसे मेरी चोटी मांगने आ रही हैं। 5pno सक्मिणी ने पूर्व में की गई प्रतिज्ञा प्रद्युम्न को बतलाई। PREG 260 93 यह कभी नहीं होगा,मातासल्यभामाजी के पुत्र का विवाह भी उदधिकुमारी केसाथ नहीं होगा वह तो तुम्हारी बहू बनेगी। विश्वास नहो तोचलकर खुद देखलो। वह आकाश में नारदजी के साथ मेरे विमान में बैंठी है। छळORE सच? चल तो सही। मैं भी तो देखू रूप की दुलारी को अपनी प्यारी बहू को। प्रद्युम्न कुमार रुक्मिणी को लेकर विद्याबल से आकाश में उड़ गया। महल में चारों तरफ शोर मच गया। 22

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