Book Title: Pradyumn Haran
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 28
________________ आरिवर प्रद्युम्नकुमार को वैराग्य हो गया वह अपने पिता के पास दिगंबर दीक्षा लेने की अनुमति प्राप्त करने गए। हे पिताश्री। आपकी कृयासेमैंने समस्त सांसारिक सुरवों को भोगा है। किंतु संसार अनित्य है। इसलिए मैं दिगम्बर दीक्षा लेना चाहताहूं कृपया अनुमति और आशीष हेवल्स वैसेतोअभी तुम्हारी उम्र वैराग्य योग्य नहीं है। जीवन में पुत्र को पिता से भी आगे निकलना चाहिए ऐसा सोच मैं तुम्हें अनुमति देता हूं। मेरा आशीष सदैव तुम्हारे साथ है श्रीकृष्ण की अनुमति ले प्रद्युम्नकुमार माता रुक्मिणी के पास गए। हे मां , में दीक्षा लेने जा रहा हूं। पिता जी की अनुमति मिल गई है। कृपया आप भी अनुमति बेटा! तेरी विरक्ति देख मुझे भी वैराग्य हो रहा है। तेरे साथ मैं भी दीक्षा लूंगी। HOMBOOT हमभी आर्यिका व्रत धारण करेंगी प्रद्युम्न कुमार के वैराग्य की खबर सुनकर रति, उदधिकुमारी आदि रानियां सांसारिक भोगों से विरक्त हो गई हे स्वामी ! आप ही हमारे सर्वस्व' हैं। अतः हम भी आर्यिका..... Monoar

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