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हेमंत्रियों प्रद्युम्न और उदधिकुमारी के विवाह की तैयारियां कीजाष्टं। विवाह बड़ी धूमधाम से होना
चाहिए जो आज्ञा महाराज!
हेमाधव । राजाकालसंवर और रानी कनकमाला प्रद्युम्न के पालन करने वाले माता-पिताहे। यह विवाह उनकी साक्षीसे होनाचाहिए माताजी ! प्रतिज्ञा के अनुसार अब आपको महारानी सत्यभामा जी की चोटीकटवाकर मंगवासेनी
चाहिए।
श्रीकृठणने राजाकालसंवरऔर रानी कनकमाला को बुलानेदूत भेज दिया।
प्रद्युम्न के विवाह के दिन
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नहीं बेटा! वह बड़ी हैं। मुझसे भीअधिक तुम्हें उनका आदर करना चाहिए। बड़ों का सम्मान करनाही श्रेष्ठपुरुषों का आचरण होता
है।
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उदधिकमारी के साथ-साथ प्रद्युम्नकुमार का अन्य अनेक कन्याओं से विवाहहुआ उन्होंने दीर्घकाल तक सांसारिक सुख भोगा।