Book Title: Pradyumn Haran
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ कोई चिन्ता नहीं। मेरे प्रज्यों को आज अपने बालक के बल-पराक्रम का परिचय मिल' जाएगा। दास-दासियों | यह क्या हुआ प्रद्युम्न अब का शोर सुनकर तो यादव अवश्य ही तुझसे आकाशमार्ग युद्ध करेंगे। सेजाती हुई रुक्मिणी युद्ध की आशंकासे विचलित हो उठी। पकड़ो पकड़ो / अरे जल्दी से द्वारिकाधीशकोसूचना दो। देखो कोई मायावी रुक्मिणी माता का हरण करके लेजा रहाहै। V n. nnn हे वीर और विलक्षण बालक! मैं तुझे मल्लयुद्ध के लिए ललकारता हे सुभट शिरोमणि! मुझे आपकी चुनौती स्वीकार है। सूचना मिलते ही श्रीकृष्ण ने रणभेरी बजवादी। आननफानन में यादव सेना एक्य हो गई और आदेश की प्रतीक्षा करने लगी। रूक्मिणीको विमान में बैठाकर प्रधुम्न तुरंत 1769 वापस आ गया। भुजंगदेव और विद्याओं की सहायता से उसने एक विशाल सेना बनाई।दोनों सेनाओंमें डटकर युद्ध हुआ। युद्ध में यादव सैनिक अधिक संख्या में मारे गए यह देख श्रीकृष्ण ने प्रद्युम्न को मल्लयुहू की चुनौती दी। 23

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32