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मगर पीहां छिन्द २ भिन्द २, सर्व अष्ट कृली नाग जनित विप भयान छिन्द २ भिन्द २, सर्व ग्राम नगर देश मारी रोगान् छिन्द २, भिन्द २, सर्व स्थावर जंगम विजात श्चिक दृष्टि विष सादिकृत दोषान् छिन्द २ मिन्द २ सर्व सिंह अष्टापद व्याख्याल वन चर जीव भयान लिन्द २ पिन्ट, २, पर शव कृत मारखोञ्चाटन विद्वेषण मो न यशी करणादि दोषान् चिन्द निन्द २, सर्व देशपुर मारी लिद मिंद २, सर्व राज नरमा लिंद छिद्र भिद भिंद, सच हस्ती घोटक मारीम् भिंद छिद भिंद भिड, गोवृषमादि तोर्याच मागम् छिद लिंद भिंद मिंद, सर्व वृक्ष पुष्प लता मारीम् विंद छि निंद भिंद : ।
ॐ भगवती श्री चश्वरी ज्वाला मालिनी पद्मावती देवी अस्मिन् जिनेन्द्र भवने आगच्छ आगच्छ एहि २ तिष्ठ २ अलि गृहाणा २ मम धन धान्य समृद्धिं कुरू कुरू सर्व भव्य जीवानंदनं कुरू २ सर्व देश ग्रामपुर मध्ये छुद्रो पद्रव सर्व दोष मृत्यु पीडा विनाशनं कुरू २ सर्व परचक्र भय निवारणं कुरू १ स्वाहा ।
ॐ श्रां क्रौं ह्रीं श्री वृषभादि यर्द्ध मानांताश्चतुर्विंशति तीर्थ कर परम देवा श्रीयंताम् २, मम पापानि शाम्पन्तु घोगेप सागि सर्व विघ्नानि शाम्यतु । ॐ आँ कौं ह्रीं चक्र से जालामालिनी पद्मावती देरी प्रीयंताम् २ ।। ॐ आँ क्रौं ह्रीं श्री रोहिण्यादि महादेवी अन प्रागच्छ २ सर्व देवता प्रीयंताम् २ ।। ॐ आँ क्रौं ह्रीं श्री मणिभद्रादि यज्ञकुमार देवाः प्रीयंताम् २, सर्चे जिन शासन रक्षक देशः