Book Title: Praching Poojan Sangrah
Author(s): Ram Chandra Jain
Publisher: Samast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat

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Page 299
________________ - - . - --- - अग्नि मंडल ___ साथ ही हो कुण्ड की कट नियों पर सफेद तथा पंच रंग मूत्र पेष्ठित कर के कुण्ड में शिखाकार समिधा स्थापित करके कुण्ड की कटी पर पाठों दिशाओं में दिग्पालों की स्थापना करने के लिये आठ अक्षत और पुष्प के पुंज रखकर उन पर एक एक सुपारी या बादाम रखदेना चाहिये । कुण्ड के चारों किनारों पर चावल के युजरखकर एक एक लघु क्याश सुपित जप से गरार उस पर श्रीस रख कर केशरिया वस्त्र से श्रावृत कर विराज मान करना चाहिये कुण्ड के चारों किनारों पर दीपक तथा धूपदान भी रखना आवश्यक है । पश्चाव संध्या या सकलीकरणादि फियाकरके निम्न मंत्र पढ़कर सामग्री की शुद्धि करे। ॐ ही पवित्रतर जलेन शुद्धि करोमि स्थाहा । इस मंत्र से सामग्री का शोधन करे पश्चाद निम्न मंत्र पढ़कर कपूर था डाम जलाकर कूड में अग्नि स्थापन करे । ॐ ॐ ॐ ॐ ररररंदर्भ निक्षिप्य अग्नि सन्धुक्षणं करोमि स्वाहा । भब नीचे लिखे अनुसार कुएर्डो की पूजा कर अग्नि का अाह वानन करे । थी तीर्थनाध परि निवृत्ति पूज्य काले, आगत्य बहिर सुरपा मुकुटोल्ल सद्भिः बहिन बजैजिन पदेऽह मदार भक्त्या , देहुस्तदाग्नि महम-तु दधामि । ॐ ही प्रथमे चतुरस्र तीर्थकर कुगडे गाईपत्याग्नयेऽयम् निवामीति स्वाहा गणाधि पाना शिव प्राप्ति कालेऽग्नीन्द्रोत मांगस्फुरदग्निरेषः । । 11६

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