Book Title: Praching Poojan Sangrah
Author(s): Ram Chandra Jain
Publisher: Samast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat

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Page 304
________________ । * जयादि अष्ट देवी मंत्र के ॐ जय नमः ॥ १॥ ॐ ह्रीं विजयायै नमः ।। २ ॥ ॐ हीं अजिताये नमः ॥ ३ ॥ , अप जितायै नमः। ४॥ , झुमायै नमः ॥ ५ ॥ , मोहाय नमः ॥ ६ ॥ , स्तंभायै नमः ॥ ७ , स्तमिन्यै नमः ॥ पर्यवत् काम्य मंत्र से पीसी न्याहूति देकर तर्पण व पर्युषण करे । ॥ नवग्रह मंत्र ॥ ॐ हीं है: आदित्याय नमः॥१॥ ॐ ह्रीं हूँ : सोमाय नमः ॥२॥ ॐ ह्रीं हैं : भौमाय नमः १२। , बुधाय नमः ॥ ४॥ वृहस्पतये नमः ॥ ५ ॥ शुक्राय नमः ॥ ६ ॥ ,, शनिश्चराय नमः । ७ ।। , राहवे नमः ॥ ८ ॥ , केतवे नमः ॥ ६ ॥ पश्चात् पूर्वत् काम्य मंत्र पढ़ कर घी की ३ माहतियां देवे । एवं ५ नर्पण कर पर्युषण परे । ॥ दश दिपाल मंत्र ॥ भाँको ही इन्द्राय स्वाहा |१| ॐ आँ को ही अग्नये स्वाहा ॥२॥ माँ को ही यमाय स्वाहा ।।३।। *कोही नैपाय स्वाहा ॥ ॐ आं को ही रुवाय स्वाहा ।। ५ ओ को ही पवनाय स्वाहा ॥ ६ ॥ ॐ श्रां को ह्रीं कुरेराय स्वाहा ।। ७॥ ॐ श्रां क्रौं ह्रीं ईशानाय स्वाहा

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