Book Title: Praching Poojan Sangrah
Author(s): Ram Chandra Jain
Publisher: Samast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat

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Page 303
________________ - निसारक मंत्र ॐ षट कर्मणे स्वाहा ॥ १ ॥ ॐ ग्राम पतये सौदा ॥ २ ॥ ॐ अनादि भत्रियार राहा ॥३॥ , स्नात काब बराहा ॥ ४॥ ,, भावाय स्वाहा ॥ ५ ॥, देवब्राह्मणाय स्वाहा । ६ ॥ .., सुत्र मणाय स्वाहा ॥ ७॥ अनुपमाय स्वाहा ।। ८ .., सम्यग्दृष्टे । सम्यग्दृष्टे । निधिपते पण : वैश्रवण ! स्वाहा || ६ || पूर्ववत काभ्य मंत्र पढ़कर घी की ३ आतियां दे ए' तर्पण मंत्र से ५ बार तर्पण कर पर्युषण करे । शोडष विद्या देवी मंत्र ॐ ॐ ह्रीं रोहिण्यै नमः ॥ १ ॥ ॐ हीं प्रज्ञप्त्यै नमः ॥ २ ॥ ॐ हीं बज खलायै नमः ।। ३ ।। , बांकुशाय नमः ॥ ४ ॥ , जाम्बूनद्य नमः ॥ ५ ॥ , पुरूषदत्तायै नमः ॥ ६ ॥ " काली देव्यै नमः ॥७ , महाकाली देव्यै नमः ॥८॥ ,, गौरी देव्यै नमः ॥ ६ ॥ ,, गांधारी देव्यै नमः॥ १०॥ , बाला मालिनी देव्यै नमः । ११ । ,, मानवी देव्यै नमः ।१२। वैराटी देव्यै नमः ॥ १३ ॥ ,, अच्युताय नमः ॥ १४ ॥ , मानसी देव्यै नमः । १५॥ ॥ महामानसी देव्यै नमः । १६ ॥ पूषवत् रम्ब मंत्र पढ़कर पी की तीन माहूतियां दे पश्चात् ५ चार तर्पक्ष और पचन करे।

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