Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Mannalal Mishrilal Chopda
Publisher: Mannalal Mishrilal Chopda
View full book text
________________
... श्री प्राचीनस्तवनावली
~
wwwww
॥ श्री पार्श्वजिन स्तवन ॥ पारस तोरी निरखण दे असवारी, अरजी सुणो प्रभु म्हारी ॥ पा० ॥ टेक ॥ काशीदेश वणारसी नगरी, दिन दशमी जयकारी । वामाराणी कूँखथी प्रभुजी, जन्म लियो सुखकारी ॥ पा०॥१॥ छप्पनदिग् कुमरी हुलराया, हर्ष हिये अति भारी। चौसठ इन्द्र करे वली महोच्छव, तरवा भवजल पारी ॥ पा० ॥२॥ एक क्रोढ साठ लाख सोहे छे, कलश महा मनुहारी । बारे जोजन पोला पेटे, पच्चास जोजन ऊंचा धारी ॥ पा०॥३॥ नीचा ऊंचा जोजन पहोला, निर्मल भरियो वारी । फूल चंगेरी बाबनाचन्दन, केशरनोधमसारी॥पा०॥४॥ इणिपरे ओच्छव सुरपति कीनो, जोइजो सूत्र संभारी। सुर गिरि ऊपर पांडुक वनमें, पांडुशिला। अति भारी ॥ पा०॥ ५॥ अश्वसेनराय उत्सव कीनो, दान दीयो दिल धारी ॥ शेरनी श्रेष्ठता जवे जुक्ते, बैठा गोख मझारी ॥ पा०॥६॥ लोक

Page Navigation
1 ... 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160