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श्री प्राचीनस्तवनावली
mmm परहरी रे वारी, चूक बतावो भरतार || अब० ॥२॥ आशा विलुद्धी में रही रे पिया, हंस रही मन, हुस० मनमाय ॥ दिन जावे पिया वरस ज्युं रे वारी, छ गुणी रात, छ० गणाय ॥ अब० ॥ ३ ॥ भूखा तो भोजन चाहे रे पिया, तिसिया चाहे ति० नीर ॥ में तो तुमको चाहतहुं रे वारी सांभल नेमकुंवार ॥ अब० ॥ ४ ॥ मेहलां वरसे मेहला रे पिया, आभा चमके ॥ आ० ॥ वीज ॥ तुम क्यों रूषीने रह्या रे वारी, आई श्रावणरी ॥ तीज ॥ अब० ॥ ५ ॥ श्रावण आयो साहिबा रे वारी, गाज रह्यो घन ॥ गा० घोर ॥ बूंद लागे पिया वाहरी रे । वारी जादव लियो चित्त ॥ जा० चोर ॥ अब० ॥ ६ ॥ नेनिजिणंद पाछा वल्या रे वारी आयो भाद्रव ॥ आयो० मास || दादुर पीपैया बोलिया रे || दा० वारी प्रीतम नहीं मुझ पास ॥ अब० ॥ ७ ॥ नैने नींद आवे नहीं रे पिया, आयो मास | आयो० आसोज । नेमि मुझ मूकी गया