Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Mannalal Mishrilal Chopda
Publisher: Mannalal Mishrilal Chopda

View full book text
Previous | Next

Page 131
________________ ११६] . ..... . श्रा प्राचीनस्तबनावली जिणंद इहा आवीयारे, पूर्व नवाणु वार । अजित शान्ति चौमासु कीधो, गणधर मुनि परिवार ॥ सिद्धा०॥१॥ दर्शन करवा जे जन जावे, तेने निंदे निषेधे। शंका थइ समाधान स्तवनथी, करसुं आतम बोधे । सिद्धा० ॥२॥ आणा माने जिन तणारे, ते संघ आण प्रमाणा । जिन दर्शन निषेधनुरे, किम झूठ डफाण ॥ सिद्धा०॥३॥ वर्षाले अढी कोश ऊंचारे, गिरि चढ़े अणगार । कल्पसूत्रे आणा वीरनीरे, किम नहीं मानुं विचार ॥ सिद्धा० ॥४॥ट्रंकेतिम तलाटीयेरे, पगले मंदिरेन जवाय। शास्त्रे तेवो निषेध नहींरे, आगे जाता ने जवाय॥ सिद्धा० ॥ ५॥ तलाटी मंदिर दर्शनेरे, जे जावे भव्य जीव । तेने किम निषेधियेरे, हृढक परे करी खीव ॥ सिद्धा०॥६॥ सिद्धगिरि मंदिर दर्शनेरे, जो वर्जु नरनार । दुर्लभ होय जीवड़ोरे, भमे घणो संसार ॥ सिद्धा०॥ ७॥ पगतिया पनर डूंगर चढीरे, पगला देखुं नहीं दोष । चढी आगे पग

Loading...

Page Navigation
1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160