Book Title: Prabhu Veer evam Upsarga
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 43
________________ समय में कोपगृहहोता था, घर का झगड़ा घर में ही रहे, बाहर कोई जाने भी नहीं इसके लिये किसी से कोई कारण बना हो तो इस भवन में आकर यहीं इसकी ... चर्चा होती। राजा-रानी संवाद राजाजी अंत:पुर पधारे, दासियों के द्वारा रानी का कोपगृह में होने की बात से अवगत हुए। राजा के कोपगृह में आने पर ही रानी खड़ी हो गयी, बैठने के लिये आसन दिया। राजा ने कोप का कारण पूछा और कहा भी कि मेरा कोई अपराधमुझे तो स्मरण में नहीं आता है। मेरे अनुसार चलनेवाले यहाँ के कोई भी अपराधकरे नहीं, कोई कमी नहीं है, फिर यहसब क्या है? कारण क्या है ? रानी ने कहा कि आपकी कृपा से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है, लेकिन इस परिवार में मेरा क्या मूल्य ? पुष्पकरंडक उद्यान में युवराजकुमार क्रीडा करे और अपना पुत्र क्रीडा न कर सके उसका अर्थ क्या है? महाराजा पूर्व परम्परा से चली आ रही व्यवस्था को याद दिलाते हुए कहा कि- एक राजकुमार उद्यान में क्रीडा कर रहा हो तो दूसरे को वहां नहीं जाना चाहिये ये अपनी परंपरा है। उसका उलंघन मैं कैसे कर सकता हूँ? लेकिन स्त्रीहठ आखिर किसे कहा जाता है ? रानी ने कहा कि महाराज, आप अपने महल में जायें। उद्यान न मिलता हो तो मुझे कुछ भी माँगना नहीं है। आपकी उपस्थिति में मैं इतना भी नहीं पा सकती तो भविष्य की कल्पना ही क्या करनी ? आक्रोश वचनों से संतप्त राजा ने कहा कि मेरा जीवन भी तुम्हारे अधीन है, दूसरा क्या कहूँ? संसार की ये कैसी विचित्रता है।महानुभावों! पृथ्वी को कँपा देनेवाले ये महारथी भी गृहक्लेश से कैसे काँप उठते है? स्त्री के पास कौन समर्थरहा है? मंत्रीश्वरों की योजना राजा सभा में जाकर मंत्रियों को बुलाते है। महारानी के कोप एवं कुलव्यवस्था ज्ञात कराकर कोई बीच का मार्ग ढूंढ निकालने के लिये कहते हैं। इसके बाद मंत्रिगण रानी को समझाने की जिम्मेदारी लेते हैं। परन्तु रानी की स्त्रीहठ के सामने मंत्रियों का भी कुछन चल सका।राजा को तो एकतरफ पत्नी की हठ और मरण की धमकी एवं दूसरी ओर कुलक्रमव्यवस्था का भंग क्या करना उसकी चिंता थी। राजा मंत्रियों को वास्तविकता बताकर बीच की राह निकालने के लिये कहते है, जिससे की दोनो की सुरक्षा हो सके।मंत्रणा करके मंत्रियों ने एक योजना का आयोजन किया।थोड़े दिन बाद राजा के पास एक प्रभूवीर एवं उपसर्ग 28

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