Book Title: Prabhu Veer evam Upsarga
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 70
________________ प्रभूवीर एवं उपसर्गीक oि Pणांनी 55 ३. प्रभुका शरण स्वीकारते हुए गोशाला ४. शीललेश्या द्वारा प्रभु के द्वारा रक्षण | करते हुए भी प्रभुकर्म नाश के अटल निर्णय में एकचित्त होने पर समतामग्न ही रहे। प्रभु के जीवन की एक-एक बात रूचिपूर्वक सुनें तो अपनी आत्मा उन्नत होने लगे। योग और योगियों का प्रभाव भी महान होते हैं ये तो योगियों के भी योगी ऐसे योगीश्वर परमात्मा जीवन की बात है। अनार्यदेश के लोगो द्वारा किये गये उपसर्ग ।

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