Book Title: Prabhu Veer evam Upsarga
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ मरीची ने जिनमार्ग में भी धर्म है और यहाँ भी धर्म है ऐसा कहकर गुड वखोल दोनो को एक कर दिया। गरमी की ताप से चारित्र से चूका, कुलमद से नीचगोत्र का उपार्जन किया और कपिल के योग से सम्यक्त्व भी गया। कपिल को अपना शिष्य बनाया। कुछ प्रकार के आचारों को सीखाकर उन्मार्ग की नयी परंपरा खड़ी की। एक भूल में से अनेक भूलों की परम्परा बँधी । भूल को भूल की तरहन पहचाना जाय तबतक जीव नई भूलों को करता ही रहता है इसमें आश्चर्य ही क्या है? मरीची ने इस भूल से बोधिभी दुर्लभ बनाया। भवभ्रमण व विश्वभूति कितने ही काल में आयुष्य पूर्ण होने पर मरीची रू प में तीसरा भव पूर्ण किया। ब्रह्मलोक नामक पंचम स्वर्ग में पहुँचा, देव-मनुष्य के बारह भवों के भ्रमण पश्चात् भी बोधिदुर्लभ होने से जैनशासन देखने-सुनने के लिये मिला नहीं, मिला तो अच्छा नहीं लगा।मनुष्य के भव में ब्राह्मणकुल में जन्म लिया, भोगादि का आसक्तिपूर्वक जीवन जीता हुआ त्रिदंडिक परिव्राजक का योग पाकर उनके प्रति आदर जगा,घोर तपोमय त्रिदंडिकपने मे जीया, देवमनुष्य के बारह भवों को पूरा किया, इस प्रकार पंद्रह भव हुआ, कर्मलघुता से सोलहवाँ भव राजगृह नगरी में विश्वविभूति राजकुमार के रूप में हुआ।राजा विश्वनंदी, युवराज विशाखाभूति और राजकुमार विशाखानंदी आदि की घटनाएँ अपने यहाँ प्रसिद्ध है। विश्वभूति युवराजपुत्र है। पंचम देवलोक ब्रह्मलोक से आकर चतुर्गतिक दीर्घ संसार में परिभ्रमण किया, बीच में भवबाहुल्य किया।ये बात आपसब जानते ही है । समकीत प्राप्ति पश्चात् भी प्रभु वीर की आत्मा का पंचेन्द्रिय रूप में सत्तावीस भव के अलावा छोटे-बड़े बहुसंख्य भवों में भ्रमण हुआ है। अनन्तर पूर्व भव में किये कुशलकर्म के प्रभाव से राजकुल में जन्म हुआ, युवाकाल में अनेक स्त्रियों के परिवार के साथ विविधक्रीडा करते हुए कालव्यतीत करता है। एक समय पुष्पकरंडक उद्यान में परिवार के साथ क्रीडा हेतु गया।सुख में आसक्त जीवों को सुख का संगम या संयोग मिलने के बाद क्या बाकी रहता है? एक बार महारानी कि दासियाँ पुष्प लेने बगीचे में आती हैं और अन्तःपुर सहित अनेकविधक्रीडा करते युवराजपुत्र विश्वभूति को देखकर ईर्ष्या की अग्नि मेंजली जाती है। दासियाँ तो नौकरानी हैं इन्हें तो राजपुत्र या युवराजपुत्र में क्या भेद हो? लेकिन महारानी को खुश करने के लिये शांत प्रभूवीर एवं उपसर्ग 26

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98