Book Title: Prabhu Veer evam Upsarga
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 42
________________ AFT प्रभवीर एवं उपसर्गाशमागण27 सरोवर में कंकर चालने के किये हए काम कैसे अनर्थ का सर्जन करता है? इसीलिये कहा गया है,हे ! रे... ईर्ष्या ! तुम्हारे पापसे-मानते महारानी कोपभवन में ईर्ष्या के प्रभाव से कैसा-कैसा अनर्थ हुआ है ये कहाँ गुप्त है? स्त्रीयों में ईर्ष्या विशेष रूप से होती है।भाई-भाई बाल्यकाल से खेले-घूमे हों और घर में स्त्री आते ही क्या से क्या हो जाता है।आप सभी जानते ही हो ।इस राजपरिवार में परस्पर गाढ संबंधथा । पुष्पकरंडक उद्यान में क्रीडा करते राजकुमार विश्वभूति को देखकर ईर्ष्यावश दासियों ने महारानी के पास जाकर कहा, आप तो नाम की ही महारानी हो । राज तो युवराज का चलता है। इसीलिये उद्यान में युवराजपुत्र मौज मना रहा है । आपके पुत्र को कौन भाव पूछता है ? स्त्रीस्वभावसुलभ तुच्छता के कारण कुल की मर्यादा जानते-समझते हुए भी महारानी को यह बात लग गयी। वह रुठकर कोपभवन में चली गयी। पुराने उद्यान में पत्नी के साथ क्रीडा करते हुए विश्वभूति ।

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