Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 17
________________ मरन्ति व 3/2 (25.6.1) रुच्च अच्छा लगना मरहि व 2/1 (33.8.8) रुच्चइ व 3/1 (1.3.14) मिल मिलना रुणरुण क्रन्दन करना मिलन्ति व 3/2 (18.3.8) रुणरुणइ व 3/1 (36.11.4) मिलइ व 3/1 (42.12.7) रुअ रोना मिलेसइ भवि 3/1 (45.2.8) रुअइ व 3/1. (18.12.6) मिलु विधि 2/1 (46.12.3) रुअहि वर्त 2/1 (37.5.7) मिलमि व 1/1 (57.1.7) रुअमि व 1/1 (77.4.1), मुज्झ मूर्छित होना/मोह करना रुण्ट गुनगुनाना मुज्झहि व 2/1 (41.15.1) . रुण्टन्ति व 3/2 (27.1.5) मुज्झइ व 3/1 (87.4.3) रुय रोना रुयइ व 3/1 (37.5.3) रुव रोना रुवइ व 3/1 (19.3.3) रंखोल हिलना-डुलना रुवमि, व 1/1 (36.12.4) रंखोलइ व 3/1 (14:3.7) रुवन्ति व 3/2 (82.9.1) रड चिल्लाना रूस रूसना/ क्रोधित होना रडइ व 3/1. (19.7.12) रूसइ व 3/1 (29.3.3) रम क्रीडा करना रूसमि वर्त 1/1 (52.7.4) रमन्ति व 3/2 (14.11.8) रेह प्रतीत होना रमु विधि 2/1 (19.15.5) - रेहइ व 3/1 (13.6.9) रमेसइ भवि 3/1 (23.4.8) रेहन्ति व 3/2 (2.11.9) रमइ व 3/1 (9.3.7) रोव रोना रव उच्चारण करना । रोवइ व 3/1 (19.6.1) रवन्ति व 3/2 (27.15.5) रोवहि व 3/1 (19.15.8) रवमि व 1/1 (62.9.5) रोवन्ति व 3/2 (36.7.8) 8] [अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया-कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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