Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 48
________________ 35. हटना ओसर, ओहट्ट 36. होना हव, हो, अच्छ - समानार्थक सकर्मक क्रियाएँ 1. अनुसरण करना अ 2. अपहरण करना अवहर 5. आश्वासन देना थव वाह, 3. आक्रमण करना समोत्थर, उत्थर, चप्प, पवोल्ल, वावर, ओवग्ग 7. करना अणुसर, 4. आशंका करना संक, आसंक - - 9. खण्डित करना विहड - Jain Education International - 6. उपभोग करना सेव, अणुहुंज, भुंज हर, - समार, कर, कुण 8. कहना - अक्ख, अप्फाल, कह, चव, जंप, पभण, पिसुण, भण, वज्जर, विअक्ख, समुल्लव, सीस ― संथव, खंड, 10. खाना अस, खा, भक्ख 11. ग्रहण करना गिण्ह, गेण्ह 12. घूमना संचर, आहिण्ड 13. घोषणा करना घोस. विघोस - - 14. चढ़ना - चड, समारुह, वलग्ग 15. चलना अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया-कोश ] - परिसक्क, संचल, संचल्ल 16. चलाना संचार, संचाल 17. चूर-चूर करना संचूर, दलवट्ट For Personal & Private Use Only — — 18. छोडना मेल्ल, परिहर, मुअ, मेल्ल, उम्मह, छड्डु, छंड, विसज्ज - - चल, चल्ल, - 19. जानना मुण 20. जाना गच्छ, गम्मं 21. तोडना खुड, तोड 22. देखना – अवलोय, उप्पेक्ख, जोअ, जोय, जोव, णिअ, णिय, णिहाल, देक्ख, पलोअ, पलोव, पेक्ख, पेच्छ, लक्ख, विहाव समुव्वह, — - 23. धारण करना धर, धा, वह वुज्झ, चेय, जाण, [39 www.jainelibrary.org

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