Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 49
________________ 24. निंदा करना - गरह, णिंद, 40. रोकना - आरोक्क, विणिवार. दुगुंछ, दोच्छ, पणिंद, परिणिंद णिरुंभ, रोक्क 25. पार करना - समुत्तर, उत्तर 41. विचार करना - वियप्प, 26. पुकारना - हक्कार, पच्चार चिन्तव 27. पूजा करना - अंच, अच्च 42. विदीर्ण करना - वियार, दार 28. प्रताडना देना - विणड 43. सजाना - सज्ज, पसाह वेयार 44. समाप्त करना - समाण, 29. प्रदर्शन करना - विण्णास, निट्ठवं .. पदरिस 45. सींचना – सिंच, सिप्प 30. प्रवेश करना - विस, 46. सुनना - सुण, आयण्ण, पइस, पइसर णिसुण 31. फैंकना - खिव, घत्त, __घल्ल, छुह, घिव 32. फैलाना - वित्थार, विक्खिर 33. बेधना – विद्ध, विंध 34. बिलोना - घुसल, पविरोल । 35. बोलना - वोल्ल, उच्चार, पवोल्ल, लव 36. भ्रमण करना - विहर, हिंड, परिभम 37. भेजना – संपेस, पेस, पट्टव 38. मारना - णिसुंभ, संघार, णिहम्म, मार, विणिवाय 39. मिलाना - घोल, मेलाव 40] [अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया-कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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