Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 47
________________ समानार्थक अकर्मक क्रियाएं 1. अच्छा लगना 2. उछलना 3. उठना उट्ठ, समुट्ठ 4. काँपना – कंप, वेव, थरहर 5. क्रीडा करना कील, रम 6. खेद करना जूर, विसूर 7. गरजना गज्ज, गलगज्ज 8. गिरना - ओवड, खस, णिवड, पड, पडिखल 9. घूमना 10. चमकना 11. चिल्लाना - कंद, रड, धाहाव 12. छिपना • उल्लुक्क, ल्हिक्क जल, पजल, 13. जलना पज्जल, 18] — - - • घुम्म, घुल, भम - - सुह, पडिहा उच्छल, उत्थल्ल - Jain Education International - 14. जीना 15. झगडा करना, लड़नाकलह, जुज्झ, भिड पलिप्प जिय, जीव, जिव वल, विप्फुर 16. ठहरना 17. डोलना, झूलना डोल्ल ठा, थक्क, था - खोल, 18. नष्ट होना - णिट्ट, फिट्ट 19. नाचना उव्वेल्ल, णच्च पणच्च 20. प्रकट होना पवियम्भ -- 21. प्राप्त होना - विढप्प, संपड 22. फैलना वित्थर, पवियंभ, वड्ड — 23. बढ़ना पवड्ड, वड्ढ 24. मिलना मिल, संमिल 25. रहना - णिवस, परिवस, वस — 26. रूसना रूस, विरूस, 27. रोना - रुअ, रुय, रुव, रोव, रुणरुण णिव्वड, 28. लौटना पल्लट्ट, लोट्ट 29. शांत होना – उवसम, णीव 30. शुद्ध होना - सुज्झ, परिसुज्झ, 31. शोभना छज्ज, विहा, सह, सोह - — For Personal & Private Use Only 32. स्खलित होना पक्खल - खल, 33. सोना - सुअ, सुप्प, सुव, सोव 34. हंसना विहस, हस [ अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया - कोश www.jainelibrary.org

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