Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 45
________________ समाणइ व 3/1 (23.4.9) साहमि व 1/1 (4.12.4) समारुह चढ़ना साहइ व 3/1 (76.9.4) समारुहइ व 3/1 (34.11.2) साहार सहारा देना समार करना, बनाना, रचना साहारन्ति व 3/2 (36.7.9) समारहि विधि 2/1 (25.12.3) सिंच सींचना समारमि व 1/1 (38.6.8) सिंचन्ति व 3/2 (6.3.5) समारइ व 3/1 (49.14.7) सिंचइ व 3/1 (76.12.9) समुत्तर पार करना सिक्खव सिखाना समुत्तरन्ति व 3/2 (1.10.6) सिक्खवइ व 3/1 (16.8.2) समुल्लव कहना सिढिल शिथिल करना समुल्लवन्ति व 3/2 (27.15.7) सिढिलन्ति व 3/2 (64.2.4) समुव्वह · धारण करना सिप्प सींचना समुव्वहइ व 3/1 (6.16.6) सिप्पइ व 3/1 (78.7.6) समोड्ड/समोड मोडना, युद्ध सीस कहना . . के लिए तैयार करना सीसइ व 3/1 (16.9.10) समोड्डुहि विधि 2/1 (58.9.9) सुण सुनना. समोडइ. व 3/1 (61.2.2) सुणन्ति व 3/2 (33.6.7) समोत्थर आक्रमण करना सुणु विधि 2/1 (37.6.3) समोत्थरइ व 3/1 (11.10.9) सुणे विधि 2/1 (49.3.1) सम्माण सम्मान देना । सुणि विधि 2/1 (53.3.1) सम्माणहि विधि 2/1 (89.3.5) सुणइ व 3/1 (54.16.9) सर आश्रय लेना सुमर याद करना सरइ व 3/1 (69.6.11) सुमरमि व 1/1 (76.10.2) सह सहन करना सुमरइ व 3/1 (35.2.3) सहेसहि भवि 2/1 (85.5.6) सुहा अच्छा लगना सार निस्तार करना सुहाइ व 3/1 (12.12.8) सारमि व 1/1 (45.14.8) सेव उपभोग करना, सेवन करना साह साधना करना सेवइ व 3/1 (33.12.9) 36] [अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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