Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 43
________________ 111111111111 वियस खिलना वीसर भूलना वियसन्ति व 3/2 (6.3.6) वीसरइ व 3/1 (19.14.8) वियार विदीर्ण करना वीसरन्ति व 3/2 (64.2.3) वियारमि व 1/1 (53.12.5) वीह डरना विरुज्झ विरुद्ध वीहहि व 2/1 (41.6.4) विरुज्झइ व 3/1 (10.7.9) दुक्कार गर्जना करना विस प्रवेश करना वुक्कारइ व 3/1 (41.14.4) विसइ व 3/1 (16.3.4) दुज्झ जानना . विसन्ति व 3/2 (16.9.2) वुज्झहि व 2/1. (20:2.2) विसज्ज विसर्जन करना, छोडना वुज्झन्ति व 3/2 (34.2.3) विसज्जमि व 1/1 (29.4.6 ) वुज्झु विधि 2/1 (43.9.3) विसज्जहि व 2/1 (70.5.5) वुज्झहुँ व 1/2 (48.5.5) विसह सहन करना वुज्झमि व 1/1 (49.2.5) विसहइ व 3/1 (18.5.2) वेढ़ लपेटना . . विसूर खेद करना वेढ़इ व 3/1 (51.13.10) विसूरइ व 3/1 (29.3.2) वोल्ल बोलना विहड खण्डित करना वोल्लइ व 3/1 (16.6.6) विहडन्ति व 3/2 (7.5.4) वोल्लहि व 2/1 (18.8.3) विहर भ्रमण करना वोल्लमि व 1/1 (19.18.2) विहरु विधि 2/1 (32.2.10) वोल्लन्ति व 3/2 (31.11.8) विहरन्ति व 3/2 (36.1.2) वोल्लेसइ भवि 3/1 (55.2.1) विहाव देखना वेयार प्रतारणा देना विहावइ व 3/2 (5.11.9) वेयारहि व 2/1 (18.12.6) विहावमि व 1/1 (52.2.1) विहुण कंपाना विहुणइ व 3/1 (29.3.3) वीसंभ विश्वास करना संक आशंका करना वीसंभइ व 3/1 (36.13.9) संकन्ति व 3/2 (8.2.4) 34] [अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया-कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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