Book Title: Paumchariu ka Kriya Kosh
Author(s): Kamalchand Sogani, Shashiprabha Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 19
________________ विरूस रूसना संपड . प्राप्त होना विरूसइ व 3/1 (1.3.13) संपडइ व 3/1 (75.5.10) विलस भोगना संभव संभव होना विलसइ व 3/1 (81.10.1) संभवइ व 3/1 (15.7.7) विसर खेद करना संमिल मिलना विसूरइ व 3/1 (42.8.1) संमिलइ व 3/1 (56.1.12) विसूरए व 3/1 (42.10.5) सक्क सकना विसूरन्ति व 3/2 (59.10.7) सक्कइ वं 3/1 (4.2.4) विहड अलग होना सक्कमि व 1/1. (18.2.5) . विहडइ व 3/1 (13.1.10) सक्कहि व 2/1 (25.10.10) विहडन्ति व 3/2 (7.5.4) सण्णज्झ तैयार होना विहर विहार करना सण्णज्झइ व 3/1 (4.6.2) विहरइ व 3/1 (88.13.2) सण्णज्झन्ति व 3/2 (53.4.5) विहस हँसना समावड सम्मुख आकर पडना विहसन्ति व 3/2 (6.7.7) समाक्डइ व 3/1 (81.9.10) विहा शोभना समावडउ विधि 3/1 (15.14.3) . विहाइ व 3/1 (13.6.8) समुट्ठ उठना वीसम विश्राम करना समुट्ठइ व 3/1 (32.2.3) वीसमइ व 3/1 (7.10.8) सस श्वास लेना वुक्क गर्जना करना ससइ व 3/1 (18.5.7) वुक्कइ व 3/1 (52.1.7) सह सोहना वेव काँपना सहइ व 3/1 (14.13.9) वेवइ व 3/1 (18.5.7) सहन्ति व 3/2 (33.11.4) सिज्झ सिद्ध होना स सिज्झइ व 3/1 (4.2.5) सुअ सोना संक संदेह करना, शंका करना सुअइ व 3/1 (1.10.8) संकन्ति व 3/2 (58.13.1) 10] [अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के पउमचरिउ का क्रिया-कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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