Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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३५
पढमपरित
[ -] पहय पोस पणासें दि जिग्गय । हस्थि-हड व सूर पहराहय ॥१॥ णिसिपी प गय भोगान लिय। भगा-गप्पर माण-कसक्रिय ॥१॥ सूर-भएण णाई रणु मेहसें चि। पइसह गया कवाह पेहले वि॥३॥ दोषा पमलन्ति जे सपणे हिं। नजिसि बलेंवि जिहालइ गयणेहिं ॥३॥ इटिउ रवि अरविन्दान्दउ । णं महि-कामिणि-केरउ अदउ ॥५॥ गं सम्माएँ निसउ रिसाविउ । खुकरहें जस-पुम्नु पहाविउ ॥६॥ गं मम्भोस वेन्तु चर-पत्ति। पच्छ णाहँ पधाइड रसिह ॥७॥ नं जग-मवणहो वोहिउ दोवड़। णा पुशु चि पुणु लो जे पखावट ॥८॥
घसा
शिष्टुअण-रस्खलहों दावि दिसि-बहु-मुह-कन्दरु । उबरें पईसरे विसीय गवेसा दिणयह ॥९॥
[ १८ ] रमणिहे तिमिर-णियरन भग्गएँ। शिव रावणहाँ आय ओलग्गएँ ॥१॥ मय-मारिश-विहोसण-राणा। भवरें घि भुवणेकॉक-पहाया ॥२॥ खर-दूसण-सोएण णयाप्पण। णं णिक सर वर पञ्जाणण ॥३॥ णिय-णिय-आसणेहि थिय अविचल । भाग-बिसाण णाई घर मयगल ॥४॥ मम्ति-महल्लएहि एस्थत्तरें। णिसुप्पिय साय अन्ति पढम्तरें ॥५॥ मण विहीखणु 'ऍडु को रोवइ । वारवार अप्पाणउ सोमइ ।।६।। णावइ पर-कमसु विच्छौहउ'। पुणु दहवयणहाँ वयणु पजोइड ॥॥ 'मम्छुडु ए काम तुह केरङ । अण्णही कासु चित्त विवरेस्ट' ॥६॥ तं णिसुधि सीय आसासिय। कलयण्ठि व पिय-वय हिं भासिय९॥ एछ दुजगहों मज को समण। जिम्ब-कणहाँ अन्भन्तरें घान्द ॥१०॥

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