Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 374
________________ पङमचरित माथहें पासिउ जाउ सु-वेसड। म घरें अस्थि भणेयउ वेसउ' ॥५॥ एवं विनितु चित्तु साहार वि। दुक्ख दुक्खु मण-पसरु णिवारे वि ॥१॥ सीपएँ समउ से पामेल्लें वि । तं गिग्वाणरमणु बणु मेडल दि ॥७॥ णरवर-विन्द हि परिमिउ दहमुह । संचलिउ णिय-णयरिहे अहिमुहु ॥४॥ घन्ता गिरि दिइ तिकूड सपा-भगवण-सुभाउ । रवि-विम्महो दि जे महि-कुलवहुभएँ थण ॥९॥ [५] णं धरु धरहूँ गम्भु णोसरियउ। सतहि उबवणेहिँ पस्थिरियर ॥१॥ पहिलउ वणु णामेण पहष्णट। सज्जप-हियर जेम विस्थिण्ण ॥२॥ वीराज जण-मण-णयणाणन्दणु । णाव जिपवर-विम्वु स-चन्दणु ॥३॥ तड्यर वणु सहसेउ सुहावड। जिणवर-सासण गाईस-सायउ॥४॥ घउथ वणु णामेण समुझाउ । वग-वलाय-कारणढ-सकोबाउ ॥५|| चारण-वणु पञ्चम रवण्णड । चम्पय-निलय-उल-संपाउ ॥६॥ छट्टउ वणु णामेप्प णिवोहर। महुअर-रुणुरुण्टन्तु सुसोहउ ॥५॥ सत्तमु घणु सीयल सछायउ। पमठमाणु णाम-विक्खायड ८॥ धत्ता तहिं गिरिवर-प? सोहइ लवाणयरि किह। थिय गयघर-खन्थें गहिय-पसाहण बहुम जिह ॥५॥ [१०] - पत्ता ताप तस्थु णिजझाइय बावि असोय-मालिणी। हेमवपण स-पभोहर मणहर गाइँ कामिणी ॥१॥ चउ-दुवार-बउ-गोउर-बाउ-तोरण-रवणिणया । सम्पय-तिक्षय-वउल-णारा-स्वर-णिया ।।२।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 372 373 374 375 376 377 378 379