Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 367
________________ बायालीसमो संधि शब्दों में बोली-"दुर्जनोंके बीच, यह सज्जन कौन हैं; नीमके वनके बीच में चन्दन । संकट आ पड़नेपर साधर्मीजन वत्सल यह कौन है ! जो मुझे धीरज देता है, इतना स्वयम्भूबल किसका है ?" ॥१-१२॥ बयालीसवीं सन्धि फिर भी विभीषण बुरे शब्दों में रावणकी निन्दा करता है, और वह परदे के निकट होकर पूछता है__[१] "हे सुन्दरी ! तुम निधान्त होकर बात कहो । यहाँ, रोती हुई तुम्हें कौन लाया। तुम किसकी बेटी हो। तुम्हारा पति कौन है ?" चिन्ता धारण करता हुआ विभीषण कहता है-"कौन तुम्हारा ससुर है, बताओ कौन तुम्हारा देयर है, तुम्हारा प्रसिद्ध भाई कौन है। तुम अपने परिजनों के साथ हो, या अकेल्दी । बताओ वनमें तुम अकेली किस प्रकार भूल गयी। किस कारण तुम वनवासके लिए प्रविष्ट हुई। चक्रेश्वर रावणने तुम्हें किस प्रकार देखा ? तुम मनुष्यनी हो या विद्याधरपुत्री। क्या दुराचारिणी हो, या झीलकी भाजन । और भी तुम्हारा कौन-सा देशान्तर है ? विस्तारसे अपनी कहानी बताओ।" विभीषणके वचन सुनकर, बद्द, इस प्रकार कहने लगी कि जिससे लोग सुन लें। “अब बहुत कहनेसे क्या? मैं भामण्डलकी छोटी बहन हूँ। मैं सीता देवी, जनककी पुत्री और रामकी गृहिणी हूँ ॥१-२॥ [२] भरतेशको राजपट्ट बाँधकर तीनों वनवामके लिए चल दिये । सिंष्टोदरका मान भंग कर दशपुर राजाका नृपमन रंजित

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